मोहिनी माता, भूत पिता, भूत सिर वेताल। उड़ ऐं काली ‘नागिन’ को जा लाग। ऐसी जा के लाग कि ‘नागिन’ को लग जावै हमारी मुहब्बत की आग। न खड़े सुख, न लेटे सुख, न सोते सुख। सिन्दूर चढ़ाऊँ मंगलवार, कभी न छोड़े हमारा ख्याल। जब तक न देखे हमारा मुख, काया तड़प तड़प मर जाए। चलो मन्त्र, फुरो वाचा। दिखाओ रे शब्द, अपने गुरु के इल्म का तमाशा।”
विधि- मन्त्र में ‘नागिन’ शब्द के स्थान पर स्त्री का नाम जोड़े। शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से 8 दिन पहले साधना प्रारम्भ करे। एक शान्त एकान्त कमरे में रात को 10 बजे शुद्ध वस्त्र धारण कर के ,कम्बल के आसन पर बैठ जावे। अपने पास एक पात्र जो जल से भरा हो रखे तथा ‘दीपक’ व धूपबत्ती आदि से कमरे को सुव्यवस्थित कर मन्त्र का" उच्चारण करे। ‘उच्चारण करते समय स्वयं का मुँह स्त्री के रहने के स्थान अन्यथा उसकी दिशा की ओर ही रखे। ध्यान पूर्वक घड़ी देखकर ठीक दो घण्टे तक मन्त्र का जप करे। जिस समय मन्त्र का जप करे, उस समय स्त्री का स्मरण करते रहे। स्त्री का चित्र हो, तो कार्य अधिक सुगमता से होगा। साथ ही, मन्त्र को याद कर जपने से ध्यान केंद्रस्थ होगा। इस प्रयोग में मन्त्र उच्चारण की गणना आवश्यक नहीं है। इसलिए उत्साह-पूर्वक पूर्ण संकल्प के साथ मंत्रो का उच्चारण करे,जल्दी ही सफलता आपके कदम चूमेगी और कितनी भी कठोर ;दिल क्यों ना हो आपकी और खींची चली आएगी
"यदि आप जल्दी सफलता पूर्वक सिद्ध परिणाम चाहते हो या ऐसा उपाय करने में असमर्थ हो तो हमसे अवश्य शीघ्र संपर्क करे !"
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